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कुशीनगर

कप्तान साहब ! कब खत्म होगा दलालों का अड्डा

कसया,कुशीनगर : प्रदेश की योगी सरकार का मुक्त शासन की धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। बिना रिश्वत के साधारण काम भी मुश्किल होता प्रतीत हो रहा है। जबकि दलालों के माध्यम से साहब को खुश करने के बाद मुश्किल काम भी आसान हो जा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण जनपद का कसया थाना है। जो इन दिनों दलालों का अड्डा बनकर रह गया है। इसे लेकर आम फरियादी निराश होकर लौट जाते हैं। प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टारलेंस की बात करती है। सरकार द्वारा समय-समय पर बिना बिचौलियों के ही कोई भी काम किए जाने के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिशा निर्देश भी जारी होते रहते हैं। बावजूद इसके कसया थाना दलालों का अड्डा बनकर रह गया है। थाना परिसर में दिनभर दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां कोई भी काम बिना दलालों के संभव नहीं है। साधारण फरियादी थाने का चक्कर ही काटते रह जाते हैं लेकिन उनको आसानी से न्याय नहीं मिल पाता है। जबकि अगर कोई व्यक्ति किसी दलाल के माध्यम से साहब तक पहुंच जाता है तो उसका काम आसानी से हो जाता है। दलालों पर साहबों के मेहरबानी का आलम यह है कि जब कोई दलाल थाना परिसर में जाता है तो उसकी चाय पानी फल फूल से खूब खातिरदारी होती है। जबकि न्याय के आस में दौड़ते-दौड़ते साधारण लोगों के चप्पल तक घिस जाते हैं। दलालों के माध्यम से साहब की भी खूब कमाई होती है। इसी वजह से साहब भी दलालों के ऊपर मेहरबान रहते हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि अधिकारियों की नाक के नीचे इस तरह का घृणित खेल कैसे हो रहा है। यह एक गंभीर सवाल है। क्या पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी को इन दलालों की सक्रियता के बारे में जानकारी नहीं है ? यदि जानकारी है तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं होती ? आखिर कप्तान साहब थाने से दलालों का अड्डा कब समाप्त होगा। जिससे आम जन को न्याय मिल सके।

दलालों के चक्कर में पीड़ित से बदलवाया जाता है तहरीर

थाने पर बैठे साहब लोग दलालों के चक्कर में आकर पीड़ित को डांटकर धमकाकर तहरीर बदलवा देते हैं। जिससे उनका धन का लाभ हो जाता है। पीड़ित तहरीर में अपने साथ घटी घटना सही बात नहीं लिख सकता है। अगर वह सही घटना लिखकर जाता है तो साहब उसे गाली गुप्ता देकर भगा देते हैं और सामने बैठकर तहरीर लिखने की बात कहते हैं।पीड़ित डर के कारण सामने बैठकर तहरीर लिखता है। जिसमें साहब खूद बोलते हैं वही लिखवाते भी हैं। बड़े साहब तो बड़े साहब छोटे साहब शुभान अल्ला वाली कहानी इन दिनों कसया थाना को चरितार्थ कर रही है। बड़े साहब कुछ समझ पाते की छोटे साहब बाहर से सारा मामले मोटी रकम लेकर इतिश्री कर देते हैं। यह क्षेत्र में चर्चा का विषय बना है बावजूद अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। आखिर इन सारे घटना के बावजूद इन साहब पर कौन मेहरबान है कि इन्हें लोगों से धन वसूलने में कोई फर्क नहीं पड़ता है।

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