स्वतंत्रता आंदोलन में समाचार पत्रों कीं भूमिका और हमारा दायित्वबोध पर वेबिनार।
बोधगया। पत्रकारिता एव जनसंचार विभाग एव जनसंचार समूह क़े तत्वावधान मे आयोजित अमृत महोत्सव वर्ष विशेष के अवसर पर स्वतंत्रता आंदोलन में समाचार पत्रों की भूमिका और हमारा दायित्व बोध विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेव गोष्ठी आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद ने की। गोष्ठी का संचालन डॉ शैलेंद्र मणि त्रिपाठी तथा स्वागत डॉ ममता मेहरा ने की। मुख्य अतिथि आईआईएमसी नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो संजय द्विवेदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष का अर्थ है आजादी के बाद भी हमारे देश के वीर जवानों देश की सीमा पर उसकी अस्मिता की रक्षा के लिए जिन्होंने प्राणों की आहुति दी है, उन्हें भी नमन करने का अवसर है। आजादी की सुगबुगाहट के साथ पत्रकारिता ने भी अपनी भूमिका शुरू कर दी थी। राजा राममोहन राय, लाला लाजपत राय सहित कई विचारकों ने पत्रकारिता के माध्यम से देश की आजादी और सामाजिक चेतना जागृत की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता जनमानस का सामाजिक स्तंभ है। उनका कार्य है कि जनता की जरूरतो को अपनी लेखनी से सरकार तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि आजादी के समय से ही जन संवाद के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में समाचार पत्र प्रकाशित होने लगे। आजादी के पूर्व अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें बंद करने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन जनता इसकी संवाहक बनी। आजादी की लड़ाई में लाल, बाल और पाल की विस्तृत चर्चा की। 1857 से लेकर विभिन्न काल खंडों में पत्र-पत्रिकाओं की योगदान की चर्चा की। जिससे जनमानस में नवजागरण और नवचेतना आई। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के हर दमनकारी नीतियों का पत्रकारिता ने मुखालफत किया। गांधी के पत्रकारिता में भाषाई समस्या कभी आड़े नहीं आई। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रहकर भी समाचार पत्रों का प्रकाशन किया। गांधीजी का मानना था कि पत्रकारिता में भी आदर्श होना चाहिए। पत्रकारों का दायित्व है कि जाति, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र विशेष से ऊपर उठकर एक समृद्ध देश समृद्ध समाज के निर्माण में योगदान दें। समाज में गैर बराबरी को खत्म करने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता समाज का एक छोटा सा हिस्सा है लेकिन इसका कर्तव्य बड़ा है।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि अंग्रेजों की दासता की जो बेड़ीयां थी, उसके विरुद्ध भारत में जो आवाज उठ रहे थे। उन आवाजों को जन जन तक पहुंचाने का कार्य समाचार पत्रों ने किया। अंग्रेजों के विरुद्ध उन्होंने जो जनता को जागृत किया उसे भुलाया नहीं जा सकता। उपनिवेशवाद के संवाहक नहीं चाहते थे कि भारत के लोगों में स्वतंत्रता की चेतना जगे। गांधीजी ने भारत से लेकर दक्षिण अफ्रीका में जाकर आजादी की जन चेतना जगाई। इसमें समाचार पत्रों की भूमिका सराहनीय रहा। उनके दायित्व बोध को जगाने में समाचार पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आजाद भारत के स्वप्न को साकार करने में पत्रकारिता की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। उन्होंने एक नए भारत के निर्माण के लिए पत्रकारों को अपने दायित्व बोध से कार्य करने की बात कही। प्रो प्रसाद ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। आज के बदलते परिवेश में सूचना को जन सरोकारों से जोड़ना है। विविध प्रकार की विषमताओं से समाज को मुक्त करने के लिए पत्रकारों को अपने दायित्व बोध के साथ काम करने की आवश्यकता है। भारतीय जीवन को कैसे श्रेष्ठ बनाया जा सकता है एक भारत श्रेष्ठ भारत को कैसे सामाजिक फलक पर लाया जा सकता है इसके लिए सभी को आगे आना होगा।
पत्रकारिता विभाग के प्रभारी प्रो विनोद कुमार सिंह ने आधार वक्तब्य देते हुए कहा कि स्वतंत्रता क्या है और आजादी के मायने क्या हैं। यह दोनों अलग अलग विषय है। आजादी की लड़ाई में सहयोग के लिए भारत ही नहीं विदेशों में भी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ। भारत के पत्रकार अपने को जनता का प्रतिनिधि मानकर पत्रकारिता में आए, जिनमें लाला लाजपत राय सहित कई नामचीन लोग सामने आए थे। प्रो विनोद कुमार सिंह ने अट्ठारह सौ सत्तावन की लड़ाई में अखबारों की भूमिका का भी वर्णन किया है उन्होंने कहा कि भारत की गौरवमई परंपरा के साथ समाचार पत्रों का सृजन हुआ तथा आजादी की लड़ाई में समाचार पत्रों ने रूप से जोड़ कर एक बड़ा ऐतिहासिक कार्य कर भारत को स्वाधीन बनाया उन्होंने विस्तार से सभी बिंदुओं पर चर्चा की।
गोष्ठी का संचालन करते हुए समन्वयक पत्रकारिता जन विभाग डॉ शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर राष्ट्र को मजबूत बनाएं ऐसी भावना हम सभी को अपनाना चाहिए।
संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ ममता मेहरा ने अतिथियों का परिचय, स्वागत एव सहयोग तथा जंतु विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ निक्की कुमारी ने आभार प्रकट किया। इस मौके पर प्रो आर पी एस चौहान, प्रो ब्रजेश राय, प्रो कुसुम कुमारी, डॉ के के मिश्र, डॉ संजय कुमार, डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी,संकर्षण मिश्र, डॉ दीपशिखा, राज विजय यादव, शंभू गिरि सहित अन्य लोग मौजूद रहे।