समूह के जिम्मे सामुदायिक शौचालय की देखभाल,हजारों रुपये लेकर किसी एक का चयन,
फरेंदा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत सेमरहनी में समय माँ महिला आजीविका मिशन समूह की सदस्य अनिता पत्नी जितेंद्र ने खण्ड विकास अधिकारी अमरनाथ पांडेय को लिखित शिकायत पत्र दे कर अवगत कराया है।कि उक्त समूह की सदस्य पूजा के द्वारा कहा गया है कि 20 हजार रुपये देकर मैं सार्वजनिक शौचालय के देख रेख के लिए नियुक्त हुई हूँ। शासन की तरफ से गांवों में बने सामुदायिक शौचालय के रखरखाव की जिम्मेदारी समूहों की है। इसके लिए शासन से निर्देश भी आ है। मुख्य विकास अधिकारी इसके रखरखाव के लिए व्यापक दिशा निर्देश जारी किये हैं। अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के आदेशानुसार यह निर्देशित किया गया है कि ग्राम पंचायतों में निकटस्थ स्थित स्वयं सहायता समूहों को यह जिम्मेदारी ग्राम पंचायत द्वारा लिखित रूप में सौंपी जाए। इसकी साफ-सफाई के लिए सफाईकर्मी की तैनाती की जाए। शौचालय की देखरेख के लिए प्रतिमाह नौ हजार रुपये खर्च किए जाने की व्यवस्था की गई है।उक्त ग्राम पंचायत द्वारा शौचालयों के रखरखाव के लिए धनराशि की व्यवस्था 15वें वित्त आयोग से की जाएगी। इसमें 25 प्रतिशत धनराशि स्वच्छता व सैनिटाइजेशन के लिए आरक्षित है। 15वें वित्त आयोग में धन की कमी होने पर इसकी पूर्ति राज्य वित्त आयोग के पैसे से की जाएगी। ग्राम पंचायतों द्वारा शौचालयों के रखरखाव में व्यय होने वाली पूरे वर्ष की धनराशि अधिकतम दो किश्तों में स्वयं सहायता समूह को प्रदान की जाएगी। जिन पंचायतों में स्वयं सहायता समूहों का गठन नहीं हुआ है, वहां ग्राम पंचायत द्वारा सफाईकर्मी की तैनाती कर शौचालय की देखभाल की जाएगी। स्वयं सहायता समूह द्वारा दिन में दो बार शौचालय की साफ-सफाई व सुविधाओं की देखभाल की जाएगी। दिन में दो बार सफाईकर्मी को साफ-सफाई से जुड़े सामान उपलब्ध कराए जाएंगे। समूह द्वारा शिकायत रजिस्टर बनाया जाएगा, जो शौचालय पर उपलब्ध रहेगा।दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को संचालित कर शौचालयों को स्वच्छ रखना। स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जरूरी उपकरणों जैसे गलव्स, मास्क आदि का प्रयोग करना होगा। सामुदायिक शौचालय में तैनात सफाईकर्मी को 6000 रुपये प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिया जाएगा। शौचालय में मरम्मत (नल, टोटी व प्लबिग )के नाम पर 500 रुपये प्रतिमाह खर्च किए जाएंगे। साफ-सफाई की सामग्री (झाड़ू, ब्रश, कपड़े, स्पंज, पोछा मग व बाल्टी ) आदि पर छह माह में 1200 रुपये अथवा प्रतिमाह 200 रुपये खर्च किए जाएंगे। शौचालय में निसंक्रामक सामग्री (साबुन, वाशिग पाउडर, हार्पिक ) आदि के लिए 1 हजार रुपये प्रतिमाह खर्च करने की छूट है। शौचालय में यूटिलिटी खर्च के रूप में (पानी, बिजली, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट) के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा कुछ अतिरिक्त खर्चों के रूप में तीन सौ रुपये प्रतिमाह खर्च किया जाएगा।
इस संबंध में खण्ड विकास अधिकारी अमरनाथ पांडेय का कहना है कि इस संदर्भ में हमे कोई जानकारी नहीं है।वही शिकायत करता अनिता का कहना है कि मैं शिकायत पत्र खण्ड विकास अधिकारी को दिया है।