भाजपा सरकार में राज्यमंत्री रहे शिवेंद्र सिंह के एक बार पुनःभाजपा में शामिल होने पर छेत्र की सियासत गर्म।
2002 से 2007 तक भाजपा के विधायक व राज्य मंत्री रहे।
सिसवा /कोठीभार
बुधवार को सिसवा विधानसभा 317 के 2022 के सियासी जंग में एक भूचाल तब आ गया की छेत्र के कद्दावर नेता के रूप में वे राजनीतिक सम्मीकरण को भी उथल पुथल करने में माहिर हमेशा प्रदेश राजनीतिक के शुर्खियो में रहने वाले 6बार के विधायक व दो बार के प्रदेश में राज्य मंत्री रहे शिवेंद्र सिंह उर्फ शिव बाबू का पुनः एक बार भाजपा के साथ पारी खेलने की तैयारीव चुनाव के येन वक्त पर भाजपा में शामिल होना पूरे छेत्र में चर्चा का विषय व छेत्र की सियासत गर्म हो चुकी है।
आपको बताते चले की 317 सिसवा विधानसभा छेत्र में यादवेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत सम्हाल रहे शिवेन्द्र सिंह पिता के आकस्मिक निधन के उपरांत 1983 में प्रदेश में उप चुनाव में काग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित किया उस समय शिवेन्द्र रिकार्ड मतो से जीत दर्ज कर पहली बार कम उम्र के कांग्रेसी विधायक बन विधानसभा पहुचे।उसके बाद 1985 से 1989 तक व 1991 से 1996 तक काग्रेस के विधायक रहे।उसके बाद 1995में कांग्रेस पार्टी के अंतरकलह से ऊब काग्रेस को अलविदा कह कुछ काग्रेसी विधायक दल के साथ बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गये।बसपा ने 1996 के विधानसभा चुनाव में शिवेन्द्र को सिसवा विधानसभा छेत्र से टिकट भी दिया उस समय भी बसपा से विधायक बनकर विधानसभा सभा मे पहुचे।उसके बाद प्रदेश में तमाम उथल पुथल की राजीनीति के बाद में 1998 में पहली बार कल्याण सिंह के सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया।उसके बाद इन्हें सन 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने शिवेन्द्र को भरतीय जनता पार्टी में शामिल कराया।भाजपा ने शिवेन्द्र को 2002 के विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया। भाजपा के सिंम्बल पर चुनाव जीतकर पुनः एकबार विधायक बने उसके बाद तत्कालीन भाजपा सरकार में इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर पुनः राज्य मंत्री पद से नवाजा गया।एक बार फिर पार्टी मोहभंग हुआ पार्टी बदल कर सन 2006 में समाज वादी पार्टी में शामिल होने के बाद सपा के सिंम्बल पर चुनाव लड़ एक बार फिर 2007 से 2012 तक विधायक रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में पुनः एक बार सपा ने शिवेंद्र को उम्मीदवार बनाया। चुनाव लड़े औऱ हार का सामना करना पड़ा।इस बार पुनः एक बार अपने पुराने घर भाजपा में शामिल होकर शिवेंद्र छेत्र की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिए है। अब आगे क्या आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट के हक़दार है या नही ये तो पार्टी हाईकमान ही तय करेगा।