रोजेदारों ने बताई पाक महीने की खासियत, रमजान महीने में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाज़े।
जहन्नम से आजादी का महीना माह-ए-रमजान*
बृजमनगंज-महराजगंज
माह-ए-रमजानुल मुबारक में अल्लाह तआला अपने रोजेदार बंदों पर रहमते नाजिल फरमाता हैं। रिज्क ज्यादा होता है। इससे मालो-जरमे में बरक्कत होती है। रोजेदार के लिए जमीनो-आसमान के फरिश्ते बख्शीश
मांगते हैं। शैतान कैद किए जाते हैं। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
रमजान की आखिरी रात में लोगों के गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। हर रोज जन्नत को सजाया जाता है और रोजदारों की दुआ कुबुल होती है।
*रोजदार को अल्लाह की खुशनूदी हासिल होती है। अल्लाह रोजदारों को इंशा अल्लाह अपना दीदार नसीब अता फरमाएगा । रमजानूल मुबारक का महीना उन बेशुमार नेमतों एवं बरकतों में से एक है जो अल्लाह तआला ने अपने बन्दों के लिए अता की है।* प्रस्तुत है बृजमनगंज क्षेत्र के रोजेदारों से *”ndtv24की टीम से ”* की बातचीत।
मुकद्दस महीने में अल्लाह ताला ने कुरान पाक को दुनिया की रहनुमाई के लिए नाजिल किया। यही वजह है की इस माह में रोजेदार पाकीजा एहकाम पर अमल करते हैं। इंसान इस मुबारक महीने में रोजा रखकर अल्लाह को इबादत करता है। नमाज व तरावीह पढ़ता है। अल्लाह उससे खुश होकर उसके सारे गुनाह माफ कर देता हैं।
*हाजी डा. मजीबुल्लाह रज़वी रमजानपुर*
रमजानमें एक नेकी का सवाब 70 गुना मिलता है। उसी तरह एक गुनाह करने से 70 गुनाह मिलता है। नफिल नमाज पढ़ने पर फर्ज का सवाब मिलता है। एक फर्ज पढ़ने पे 70 फर्ज का सवाब मिलता है। रोजेदारों बंदों को अल्लाह इनाम अता फरमाता है। रोजा रखने वालों को अल्लाह से एक खास इनाम ईद की सूरत में मिलता है।
*कारी मो. सादिक रजा नेपाली बृजमनगंज*
बुरी निगाहों और बुरे कामों की ख्वाहिशे नफसानी से बाज रहने का नाम रोजा है। रोजेदार बंदे अल्लाह को बहुत पसंद है। रोजेदार की हर नेक दुआ अल्लाह कबूल करता है। रमजान का महीना रहमत व बरकत वाला है। इस महीने में दिल खोलकर सदका व जकात निकालकर गरीबों में बांटना चाहिए।
*हाजी मोलहुद्दीन सोनौली*
अल्लाह हुम्मा इन्नी लका सुमतो व विका आमंतो व अलैका तबक्कलतो व इमान रिजकिका अफ़तरतो,
अर्थात ऐ अल्लाह मैंने आपके लिए रोजा रखा और आप पर भरोसा किया, आप पर ईमान लाया और आप के दिये रिज़्क़ से अफ्तार करता हु। रोजा रखने के दौरान सारे दिन खुदा की इबादत करनी चाहिए, और लोगों की मदद करनी चाहिए।
*हाजी निरहू साहब सोनौली