श्रीमद् भागवत कथा का दूसरा दिन, गलती होने पर प्रायश्चित जरूर करें: संत राममणि शास्त्री,
फरेंदा, महराजगंज
नगर पंचायत आनंद नगर के विस्तारित क्षेत्र रतनपुर में रामशरण लोहार के यहां आयोजित श्रीमद् भागवत कथा की दूसरे दिन बुधवार को कथावाचक संत राममणि शास्त्री ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं है। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। प्रायश्चित ना करने पर गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है।
कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्री कृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से बताया। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित कलयुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप मे वह सुकदेव जी के पास जाते है। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है जो जीवन में परेशानियों का समाधान देती है साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। कथा व्यास ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्य देव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति किया। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया। इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। भागवत सुनने वाले के अंदर श्रद्धा और जिज्ञासा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी के अंदर वास करता है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनाना समस्त दान, व्रत ,तीर्थ, पुण्य आदि कर्मों से बढ़कर है। उन्होंने भागवत के चार अक्षर का तात्पर्य बताते हुए कहा की भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त से त्याग होता है। कथा का वर्णन करते हुए परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान उन्हें मुक्ति प्रदान करने के लिए कैसे प्रकट हुए इत्यादि का भावपूर्ण वर्णन किया गया।
कथा आयोजक रामशरण लोहार ने बताया 29 मार्च दिन मंगलवार तक प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम 7:00 बजे से 10:00 बजे तक अयोध्या धाम से आए हुए संत राममणि शास्त्री द्वारा कथा का रसपान कराया जाएगा। पूर्णाहुति 30 मार्च दिन बुधवार को प्रातः 9:00 बजे एवं महाप्रसाद दोपहर 1:00 बजे से प्रारंभ होगा।