ब्रेकिंग
पटाखे जलाने की दौरान हुआ धमाका तीन घायलमहिलाओं ने उगते सूरज कोअर्घ्य दे कर पुरे किये निर्जला व्रतयूपी के प्रदेश सचिव बने गोरखनाथ मौर्य पटना के गुलबी घाट पर लोक गायिका शारदा सिन्हा पंचतत्व में हुई विलीन,पुत्र अंशुमान ने दी मुखाग्निडीएम ने राम मनोहर लोहिया पार्क स्थित सरोवर में सपरिवार मनाया छठ पर्व।छठ पर्व पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देकर महिलाओं ने की आराधनानौतनवा नगर के राम मनोहर लोहिया छठ घाट पर छठ मनती व्रती महिलाएं एवं श्रद्धालु गण।छठ पर्व पर व्रती महिलाओं ने अस्ताचल सूर्य को दिया अर्ध्य।सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस ने किया छठ घाटों का निरीक्षणछठ पर्व पर सजी पूजा सामग्री की दुकानों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़निचलौल तहसील पर आम आदमी पार्टी का जोरदार प्रदर्शनकड़ी सुरक्षा के बीच लक्ष्मी-गणेश प्रतिमाओं का विसर्जनशनिवार को छुट्टी के चलते सोमवार को हुआ समाधान दिवसएंटीरोमियों टीम द्वारा मिशन शक्ति अभियान फेस 5के तहत छात्राओं/महिलाओं को अपने अधिकारों से किया जागरूकभानु प्रताप व चन्द्र भूषण प्रान्तीय संरक्षक मण्डल में नामित

उत्तरप्रदेशमहाराजगंज

छठ पर्व पर महिलाओं ने दिया संध्या अर्घ्य

लछमीपुर/महराजगंज छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है, कार्तिक मास के शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। पुरे दिन सभी लोग मिलकर पूजा की तैयारिया करते है। छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू जिसे कचवनिया भी कहा जाता है, बनाया जाता है । छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुयी टोकरी जिसे दउरा कहते है में पूजा के प्रसाद,फल डालकर देवकारी में रख दिया जाता है। वहां पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल,पांच प्रकार के फल,और पूजा का अन्य सामान लेकर दउरा में रख कर घर का पुरुष अपने हाथो से उठाकर छठ घाट पर ले जाता है। यह अपवित्र न हो इसलिए इसे सर के ऊपर की तरफ रखते है। छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में प्रायः महिलाये छठ का गीत गाते हुए जाती है।नदी या तालाब के किनारे जाकर महिलाये घर के किसी सदस्य द्वारा बनाये गए चबूतरे पर बैठती है। नदी से मिटटी निकाल कर छठ माता का जो चौरा बना रहता है उस पर पूजा का सारा सामान रखकर नारियल चढाते है और दीप जलाते है। सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा का सारा सामान लेकर घुटने भर पानी में जाकर खड़े हो जाते है और डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती है। सामग्रियों में, व्रतियों द्वारा स्वनिर्मित गेहूं के आटे से निर्मित ‘ठेकुआ’ सम्मिलित होते हैं। यह ठेकुआ इसलिए कहलाता है क्योंकि इसे काठ के एक विशेष प्रकार के डिजाइनदार फर्म पर आटे की लुगधी को ठोकर बनाया जाता है। उपरोक्त पकवान के अतिरिक्त कार्तिक मास में खेतों में उपजे सभी नए कन्द-मूल, फलसब्जी, मसाले व अन्नादि यथा गन्ना, ओल, हल्दी, नारियल, नींबू(बड़ा), पके केले आदि चढ़ाए जाते हैं। ये सभी वस्तुएं साबूत ही अर्पित होते हैं। इसके अतिरिक्त दीप जलाने हेतु,नए दीपक,नई बत्तियाँ व घी ले जाकर घाट पर दीपक जलाते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण अन्न जो है वह है कुसही केराव के दानें हैं जो टोकरे में लाए तो जाते हैं पर सांध्य अर्घ्य में सूरजदेव को अर्पित नहीं किए जाते। इन्हें टोकरे में कल सुबह उगते सूर्य को अर्पण करने हेतु सुरक्षित रख दिया जाता है। बहुत सारे लोग घाट पर रात भर ठहरते है वही कुछ लोग छठ का गीत गाते हुए सारा सामान लेकर घर आ जाते है और उसे देवकरी में रख देते है । 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!