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जरूरत पड़ी तो फिर बना लेंगे कृषि कानून’, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र का बयान,

कलराज मिश्र बोले- किसानों के हित में थे कानून ..उन्होंने कहा, जरूरत पड़ी तो फिर बनाएंगे कानून
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कृषि कानूनों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर आगे जरूरत पड़ी तो दोबारा कानून बनाया जाएगा. कलराज मिश्र ने ये बात भदोही में मीडिया से बात करते हुए कही.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. पीएम मोदी ने कानून वापसी की वजह बताते हुए कहा था कि हम किसानों को समझा नहीं सके, इसलिए कानून वापस ले रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले के बाद एक तरफ जहां किसान संगठन और विपक्षी दल सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं कुछ इन कानूनों को फिर से लाए जाने की आवाज भी उठ रही हैं. राज्यपाल कलराज मिश्र का कहना है कि जरूरत पड़ने पर दोबारा ऐसे कानून बना सकते हैं. किसान संगठन भी इस बात का अंदेशा जता चुके हैं. इसलिए उनका कहना है कि जब तक संसद से कानून वापसी पर मुहर नहीं लगती, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा.

दोबारा बनाएंगे कानूनः मिश्र

मीडिया से बात करते हुए कलराज मिश्र ने कानून वापस लेने के फैसले को सराहनीय कदम बताया. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कृषि कानून किसानों के हित में था. सरकार ने किसानों को समझाने की लगातार कोशिश की. फिर भी किसान आंदोलित थे और अड़े थे कि कानून वापस लिया जाए. अंत में सरकार को ये लगा कि कानून वापस ले लिया जाए.

उन्होंने ये भी कहा, ‘फिर आगे इस संबंध में कानून बनाने की जरुरत पड़ी तो दोबारा बनाया जाएगा. फिलहाल इसे वापस लिया जा रहा है.’

साक्षी महाराज ने भी कहा था- फिर वापस आ जाते हैं बिल

कलराज मिश्र से पहले उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने भी कहा था कि बिल बनते हैं, बिगड़ते हैं और फिर वापस आ जाते हैं. उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी ने राष्ट्र और बिल में से राष्ट्र को चुना है. वहीं, फर्रूखाबाद से बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत ने प्रधानमंत्री मोदी के कानून वापसी के फैसले पर असहमति जताते हुए कहा था कि उन्होंने मजबूरी में ये फैसला लिया है.

इसी सत्र में आ सकता है कानून वापसी का बिल

पीएम मोदी ने कानून वापस लेने का ऐलान तो कर दिया लेकिन इसे अभी संसद में पास कराना होगा. सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक होगी, जिसमें कृषि कानूनों की वापसी के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है. इसके बाद इसी महीने के आखिर से संसद का सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें कानून वापसी का बिल पेश किया जाएगा.

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