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गोरखपुर

स्वास्थ्य विभाग ने 10 से 28 अगस्त तक प्रस्तावित एमडीए अभियान को सफल बनाने का किया अपील

सभी लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाना सुनिश्चित हो- सीएमओ

गोरखपुर। 03 अगस्त 2023
जनपद में 10 अगस्त से चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम (एमडीए) अभियान के उद्देश्य को प्राप्त करने में मीडिया सहयोगियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च सीफार संस्था के सहयोग से गुरूवार को शहर के एक निजी होटल में मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला एडी हेल्थ डॉ आईबी विश्वकर्मा के दिशा निर्देशन में आयोजित की गयी। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा अपील की गयी कि फाइलेरिया रोग के समूल उन्मूलन के लिए सभी लाभार्थियों को फाइलेरिया से बचाव की दवाएं खिलाना सुनिश्चित किया जाये।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने मीडिया सहयोगियों से कहा कि फाइलेरिया रोग की गंभीरता को मीडिया के माध्यम से जन-समुदाय में अधिक से अधिक प्रचारित किया जाए ताकि लोग इस गंभीर बीमारी के बारे में सही और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सके । लोग इतने जागरूक हो सके कि फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करके खुद को और अपने परिवार को इस रोग से बचा सकें। उन्होंने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम, क्षय उन्मूलन और कुष्ठ उन्मूलन जैसे कार्यक्रमों में भी मीडिया से निरंतर सहयोग करने की अपेक्षा की।
सीएमओ ने बताया कि जनपद में अब तक 1988 से अधिक हाथीपांव और 579 से अधिक हाइड्रोसील रोगियों को चिन्हित
किया गया है। इस सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम में जनपद में 51.23 लाख लक्षित लाभार्थियों को इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए 4099 स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से बूथ लगा कर एवं घर-घर जाकर इन दवाओं का सेवन सुनिश्चित करवाया जाएगा। दवाओं का वितरण बिल्कुल भी नहीं किया जायेगा। इन दवाओं का सेवन खाली पेट नहीं करना है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवायें नहीं खिलाई जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा ने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित है। हालांकि इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद है। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं परंतु ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) भी बनाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए तुरंत बुलाया जा सकता है।
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि फाइलेरिया विश्व में दीर्घकालिक दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। हाथीपांव के नाम से प्रचलित यह बीमारी हो जाने पर इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो पाता है। रोग से प्रभावित अंग के साफ सफाई और व्यायाम से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे में अगर एमडीए अभियान के दौरान पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया जाए तो इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। इस बार एमडीए के दौरान दवा खिलाने के बाद अंगुली पर निशान भी बनाया जाएगा ताकि सभी तक दवा का सेवन सुनश्चित किया जाए। मंडलीय कीट विज्ञानी डॉ वीके श्रीवास्तव ने फाइलेरिया के वाहक क्यूलेक्स मच्छर के बारे में विस्तार से जानकारी दिया।
इस अवसर पर स्थानीय मीडिया सहयोगियों के अलावा जनपद के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, पीसीआई, पाथ और सीफार संस्था के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

हितधारकों ने साझा किये अनुभव

इस मौके पर फाइलेरिया की बीमारी से जूझते हुए लोगों को फाइलेरिया से बचाने की मुहिम में जुटे मरीज सहायता समूह (पीएसजी) नेटवर्क के सदस्यों के साथ साथ समुदाय में एमडीए अभियान को सफल बनाने में शामिल हितधारकों ने भी अपने अनुभव साझा किये।

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