आईटीएम आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज महाराजगंज में द्रव्यगुण व रसशास्त्र विभाग में प्रायोगिक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

डीके की रिपोर्ट ……………………………………. भू आवला व पुनर्नवा करता है लिवर को पुनर्जीवित : द्रव्यगुण विशेषज्ञ डा शमना आईटीएम आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के द्रव्यगुण व रसशास्त्र विभाग में प्रायोगिक कार्यशाला का आयोजन किया गया जो औषधि बगीचा में संपन्न हुआ ।बी ए एम एस के प्रथम व द्वितीय बैच के छात्रो ने प्रतिभाग किया ।रसशास्त्र विशेषज्ञ डा किरण ने पलास के पौधों से परिचय कराते हुए बताया की पलास बहुत गुणकारी है इसका बीज पुराने एक्जिमा व समस्त चर्म रोगों को जड़ से ख़त्म करता है साथ ही यह पुरुषत्व को भी बढ़ाता हैवही अर्जुन की छाल का हृदय रोग व मोटापा घटाने में गुणकारी बताया।वही द्रव्यगुण विशेषज्ञ डा शमना ने सिंदूर के पौधे को बताते हुए कहा की इस पौधे का औषधीय गुण होने के बावजूद इसका कास्मेटिक गुण भी बहुत है जो हानि रहित है इस पौधे को घर में लगाया जा सकता है और उपयोग भी किया जा सकता है ,प्रायोगिक कार्यशाला में तुलसी ,ऐलोवेरा,लाजवंती ,स्टीविया,आदि का स्वरस भी निकालना सीखे।इसके साथ वात शामक अमलतास,गुलाब से गुलकंद बनाना,बच का भी उपयोग बताया ।उन्होंने पुनर्नवा को बताते हुए कहा की यह तराई क्षेत्र में अत्यधिक पाया जाता है जिसे पथरी ,गदापूर्णा के नाम से भी जाना जाता है इसका उपयोग लिवर के बीमारियों में रामवाण है यदि लिवर का तीन चौथाई हिस्सा भी नष्ट हो गया हो तो इस औषधि से लिवर को पुनर्जीवित किया जा सकता है।इसी के साथ इस क्षेत्र में पाए जाने वाला भू आवला भी लिवर व किडनी के लिए रामबाण है ।वही प्रोफ़ेसर डा परमेश्वर ने बताया की इस मौसम में आयुर्वेद के दोष वात पित्त कफ़ में वात व पित्त दोष की अधिकता रहती है जिससे विषम ज्वर , पेचिस, उदर शूल ,सिर शूल आदि रहता है। इसमें वात व पित्त शामक औषधि का सेवन करना चाहिए जिसमे एलोवीरा , तुलसी व गिलोय का सेवन लाभकारी है ।इस प्रायोगिक कार्यशाला में में प्रथम बैच के आकाश यादव ,कृपाशंकर ,माहेनूर , पल्लवी,आकाश रजक वर्षा ,अनामिका , सोनम पाठक,अंजलि मदेशिया द्वितीय बैच के कृष्णा ,सौर्य,अंजलि,प्रतिभा,संजू,मन्ताशा के छात्र छात्राओ ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया व इस बरसात के मौसम में हरघर आयुर्वेद के अंतर्गत घर घर औषधीय पौधा लगवाने का भी संकल्प लिया ।

