निचलौलमहाराजगंज

टिकुलहिया के जलाशय किनारे बने डंपिंग यार्ड से बढ़ रहा पर्यावरण और स्वास्थ्य संकट

एनजीटी नियमों की अनदेखी से लोगों और किसानों पर मंडराया खतरा

निचलौल कस्बे के टिकुलहिया और टोंगरी के बीच बना कचरा डंपिंग यार्ड, नगर पंचायत की लापरवाही और एनजीटी नियमों की अनदेखी का एक बड़ा उदाहरण है। यह डंपिंग यार्ड न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि स्थानीय लोगों और किसानों के स्वास्थ्य व आजीविका पर भी गंभीर संकट खड़ा कर रहा है।

एनजीटी के नियमों का उल्लंघन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अनुसार, किसी भी डंपिंग यार्ड को तालाब या जलाशय से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर बनाया जाना चाहिए। लेकिन टिकुलहिया में स्थित यह डंपिंग यार्ड तालाब के बहुत नजदीक बनाया गया है। इस कारण जलाशय का पानी लगातार दूषित हो रहा है, जो आसपास के पर्यावरण और समुदायों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।

पर्यावरण और पक्षियों पर असर

कचरे से निकलने वाली जहरीली गैसें और दुर्गंध हवा को प्रदूषित कर रही हैं। इसके कारण न केवल इंसान बल्कि क्षेत्र में रहने वाले छोटे और बड़े पक्षी भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। कई पक्षी दूषित पर्यावरण के कारण बीमार पड़ रहे हैं या क्षेत्र को छोड़कर चले गए हैं। जलाशय के पानी में कचरे का रिसाव होने से जलीय जीवों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

स्वास्थ्य पर मंडराता खतरा

डंपिंग यार्ड से निकलने वाला कचरा और जहरीली गैसें स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही हैं। सांस संबंधी बीमारियां, त्वचा रोग, और अन्य गंभीर समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं। खासकर बच्चे और बुजुर्ग इस प्रदूषण के शिकार हो सकते हैं।

किसानों की फसलों को नुकसान

डंपिंग यार्ड से निकलने वाले कचरे का प्रभाव क्षेत्र के किसानों की फसलों पर भी पड़ रहा है। दूषित जल और मिट्टी के कारण फसलों की गुणवत्ता खराब हो रही है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

नगर पंचायत की लापरवाही

नगर पंचायत निचलौल का यह रवैया दिखाता है कि पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों के स्वास्थ्य की परवाह किए बिना यहां योजनाएं बनाई जा रही हैं। कचरे का असंगठित प्रबंधन और एनजीटी नियमों की अनदेखी ने इस क्षेत्र को पर्यावरणीय संकट की ओर धकेल दिया है।

टिकुलहिया के डंपिंग यार्ड की समस्या का समाधान करना बेहद जरूरी है। इसे तत्काल प्रभाव से तालाब के पास से हटाकर ऐसी जगह स्थानांतरित करना चाहिए, जो एनजीटी के नियमों के अनुरूप हो। साथ ही, कचरे के निपटान के लिए आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।

 

कदम उठाने चाहिए, ताकि पर्यावरण और लो

गों का स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके।

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