पंच महाभूत के अनावश्यक दोहन पर नियंत्रण आवश्यक: डॉ. मोहन यादव, मंत्री उच्च शिक्षा

सतत विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण आवश्यक है: अतुल जैन, महासचिव, दीन दयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली
सामाजिक विमर्श एवं सौहार्द के बिना सतत विकास संभव नहीं है: हितेश शंकर, संपादक, पान्चजन्य
महू। पंच महाभूत और जीवन के संबंध को जानने की आवश्यकता है। सनातन में पंच महाभूतों से ही मानव समाज में जीवन रहा है। जीवन में आत्मसात के लिए केवल भारतीय दृष्टि को अपनाने की जरुरत है। शाश्वत विकास के लिए मानव को अनावश्यक दोहन बंद कर प्रकृति के संसाधनों संरक्षित करने की शुरुआत करनी होगी। उक्त बातें कैबिनेट मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में यूजीसी स्ट्राइड परियोजना कंपोनेंट-I के अंतर्गत ‘सस्टनेबल डेवलपमेंट : पंच महाभूत फॉर इनवायरमेंट एंड सोशल हार्मोनी’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतररष्ट्रीय कांफ्रेंस के तीसरे दिन शनिवार को शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय उज्जैन में समापन सत्र में कही।
दीन दयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली के महासचिव अतुल जैन ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोते हुए कहा कि संयमित उपभोग भारतीय संस्कृति में निहित रही है। पंच महाभूत भारतीय दर्शन का महत्वपूर्ण अंग है। पर्यावरण की समस्या का निदान अध्यात्म से प्राप्त किया जा सकता है। सतत विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण आवश्यक है।
पान्चजन्य के संपादक डॉ. हितेश शंकर ने कहा कि सतत विकास के उद्देश्य संवेदनशीलता ही पूरे हो सकते है। बाबा साहब राष्ट्रीय एकता, उन्नत सद्भाव के द्योतक रहे हैं। समता, स्वतंत्रता की बंधुत्व के बिना स्थापना नहीं हो सकती है। सामाजिक विमर्श एवं सौहार्द के बिना सतत विकास संभव नहीं है। प्रो. अखिलेश पाण्डेय, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, प्रो. भरत शरण सिंह, अध्यक्ष, निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग तथा डॉ. आर. आर. कन्हारे, अध्यक्ष, शुल्क नियामक आयोग, भोपाल ने भी विचार व्यक्त किये।
कांफ्रेंस में पान्चजन्य के संपादक डॉ. हितेश शंकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘टीस और सीख’ पुस्तक का विमोचन तथा उन्हीं के द्वारा निर्देशित ‘विभाजन की विभीषिका’ डाक्यूमेंट्री का फिल्मांकन किया गया। साथ ही जेडएसआई तथा सोसाइटी ऑफ़ लाइफ साइंस के द्वारा विभिन्न श्रेणियों में साइंटिस्ट अवार्ड भी प्रदान किये गए। सतत विकास के उद्देश्य ‘मिलेट्स’के पोस्टर का भी विमोचन हुआ। माँ अनंता अभ्युदय संस्था द्वारा प्रो. डी.के.शर्मा एवं प्रो. अर्पण भारद्वाज को उत्कृष्ट अकादमिक कार्यों हेतु अभिनन्दन पत्र प्रदान किया गया
डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.के. शर्मा ने कहा कि दैनिक जीवन के कार्यों में पर्यावरण प्रबंधन को कुशलता से अंजाम देती हैं। सतत विकास नीचे से ऊपर उत्तरोत्तर होता है। पर्यावरण चिंतन को सनातन एवं वैदिक परंपरा से जोड़ते हुए देखना चाहिए। सनातन परम्परा में पंच महाभूत के साथ काम करना सिखाया जाता रहा है. पर्यावरण को संरक्षित स्वयं की जिम्मेदारी है।
स्पेशल पैनल सेशन में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए जेडएसआई, इंडिया के अध्यक्ष प्रो. बी.एन. पांडेय ने कहा कि सदियों से पंच महाभूतों से ही मानव समाज में जीवनधारा रही है। पंच महाभूत को भगवान के रूप में व्याख्यायित किया तथा विज्ञानं सम्मत निरुपित किया।
एम.डी. अजमेर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के. के. शर्मा ने सोनो टेक्सोनोमी के सिद्धांत को व्याख्यायित करते हुए वन्य जीव- जंतुओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु महत्वपूर्ण बताया। ब्राउस के कुलपति प्रो. डी.के. शर्मा ने प्रो. के.के. शर्मा द्वारा प्रतिपादित मिशन स्नेक बाईट डेथ फ्री इंडिया का विमोचन किया। इस अवसर पर स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. आशीष तिवारी उपस्थित रहे। अर्पण भारद्वाज, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण विश्व की ज्वलंत समस्या है. पर्यावरण के मूल्यों को आत्मसात आवश्यक है. उन्नत शिक्षा, शास्त्र तथा वैदिक अनुसंधान से ही विकसित राष्ट्र बन सकता है।
विशिष्ट अतिथि जर्मनी के प्रो. उलरिच बर्क ने ‘अग्निहोत्रा फार्मिंग’ पर प्रस्तुति देते हुए कहा कि पर्यावरण समूचे ब्रह्मांड की जरुरत है। वैदिक पद्धति से कृषि को उन्नत किया जा सकता है। सनातन वर्णित पद्धतियों से कृषि को सुधारा जा सकता है। वैदिक पद्धतियों से पर्यावरण संरक्षित करने उपाय खोजे जा रहे है। डॉ. मयूर शाह, डॉ. अखिलेश पाण्डेय, डॉ. विनय चक्रवर्ती, बांग्लादेश, डॉ राजेंद्र मिस्त्री, डॉ. डी.के. केसरी, डॉ. ज्योति प्रकाश सान्याल, प्रो. टी.पी. व्यास, प्राचार्य, माधव विज्ञान महाविद्यालय प्रो. वी.के. गुप्ता ने पंच महाभूतों के जरिये सतत विकास की संकल्पना पर विचार रखे।
डॉ. हरीश, डॉ. ललित के. चौरसिया, लोकेंद्र सिंह, सुदर्शन शिशुलकर, डॉ, वीणा सिंह, डॉ. ज्योति परमार, डॉ. मथुरा अहिरवार, डॉ. सुजय सिंह, डॉ यशवंत कुमार, जितेन्द्र सिंह, डॉ अनिल कुमार प्रजापति डॉ. मीनल, डॉ. रविन्द्र, डॉ. हर्षद शर्मा ने पर्यावरण ने पर्यावरण चिंतन से सम्बंधित सहित विभिन्न संकाय तथा शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र पढ़े। डाक्टर बी॰आर॰अम्बेडकर सामाजिक
विज्ञान विश्वविद्यालय क़े कुलसचिव डाक्टर
अजय वर्मा ने क़हां क़ि तीन दिवसीय सेमिनार
की सफलता क़े लिये सभी क़े प्रति आभार इस अवसर पर डाक्टर अर्चना शर्मा प्रो डी॰क़े वर्मा प्रो एम॰एम॰पी॰श्रीवास्तव प्रो स्नेहलता श्रीवास्तव प्रो शैलेंद्र शर्मा प्रो शैलेंद्र मणि त्रिपाठी डाक्टर संगीता मसानी डाक्टर धनराज डोगरे
डॉक्टर अरुण कुमार डाक्टर कौशलेन्द्र वर्मा
डाक्टर शीतल झा डाक्टर मनोज गुप्ता डाक्टर
रामशंकर सहित अनेक लोग उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का संचालन शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वी.के. गुप्ता ने सत्र सञ्चालन किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन, पुष्पांजलि से किया गया। अतिथियों को सूतमाला एवं पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, बांग्लादेश सहित देश-विदेश से सैकड़ों शिक्षाविद तथा प्रतिभागी मौजूद रहे।