कागजों में संचालित हो रहे सामुदायिक शौचालय, हकीकत कुछ और
लक्ष्मीपुर/महराजगंज पर्यावरण को स्वच्छ रखने व गांव के लोगों को खुले में शौच से मुक्ति के लिए बने सामुदायिक शौचालय कागजों पर ही संचालित हो रहे हैं। जबकि हकीकत तो यह है कि बनने के बाद शौचालयों में ताले लटक रहे हैं। इसकी वजह से लोगों को अब भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले वित्तीय वर्ष में लाखों रुपये की लागत से ग्राम पंचायतों में ग्राम निधि के खाते से सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए धन मुक्त किया गया था। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी गांवों की सूरत नहीं बदली। लोग आज भी सामुदायिक शौचालय खुला न होने के कारण खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। गांवों के लोगों का कहना है। निर्माण के बाद अब तक ताला नहीं खुला है। जिसकी वजह से अभी भी गांव के लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है।