भगवान भास्कर को उषा अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा का समापन
- व्रती महिलाओं ने खरना के दिन से आज तक निर्जला उपवासोपरान्त बृहस्पतिवार सुबह की पारण।
लक्ष्मीपुर महराजगंज
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दे कर छठव्रती महिलाओं ने उपवास को खत्म किया। सूर्योदय से पहले ही व्रती लोग घाट पर उगते सूर्यदेव की पूजा हेतु पहुंच कर,शाम की ही तरह उनके पुरजन-परिजन के उपस्थिति में संध्या अर्घ्य में अर्पित पकवानों को नए पकवानों से प्रतिस्थापित कर। सभी नियम-विधान से भगवान भास्कर को उषा अर्घ्य देते हैं। सिर्फ छठव्रती लोग इस समय पूरब की ओर मुंहकर पानी में खड़े हो कर सूर्योपासना करते हैं। पूजा-अर्चना समाप्तोपरान्त घाट का पूजन किया गया। वहाँ उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरण करके व्रती घर आ जाती हैं और घर पर भी अपने परिवार आदि को प्रसाद वितरण करती हैं। पूजा के पश्चात् व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करती हैं जिसे पारण या परना कहते हैं। व्रती लोग खरना दिन से आज तक निर्जला उपवासोपरान्त आज सुबह ही नमकयुक्त भोजन करते हैं।