सामाजिक समरसता और राष्ट्रहित के अग्रदूत थे बाबू जी : डॉ संजय पासवान
डॉ बी आर अम्बेडकर विवि में बाबू जगजीवन राम पीठ का उदघाटन.
बोधगया। डॉ. बीआर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में बाबू जगजीवन राम पीठ का उद्घाटन किया गया। बाबू जगजीवन राम का सम्पूर्ण जीवन सामाजिक समरसता और राष्ट्र उन्नयन के लिए समर्पित था. आज बाबू जगजीवन राम को समझने व उनके बारे में अच्छे से जानने की आवश्यकता है। उक्त बातें सदस्य, बिहार विधान परिषद् और भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान ने बाबू जगजीवन राम पीठ के उदघाटन के मौके पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार विषय ‘बाबू जगजीवन राम : व्यक्तित्व- कृतित्व और दर्शन’ में बतौर मुख्य अतिथि कही. कार्यक्रम का आयोजन ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ वेबिनार श्रंखला के अंतर्गत बाबू जगजीवन राम पीठ, ब्राउस और हेरीटेज सोसाईटी पटना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। बिहार की माटी के थाती बाबू जगजीवन राम को आज और भी समझने की जरूरत है।
डॉ पासवान ने कहा कि डॉ अम्बेडकर और बाबू जगजीवन राम दैदिप्तिमान सूर्य हैं इन्होंने सामाजिक समरसता और अखंडता के लिए अथक संघर्ष किया है. हमें इन पर संबंधित पुस्तकों और कृतियों का अध्ययन करना होगा ताकि हम इन्हें अच्छे से अपने जीवन मेंउतार सके.
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ अंतरराष्ट्रीय वेबिनार श्रंखला की अध्यक्ष और विवि की कुलपति प्रो आशा शुक्ला ने कहा कि स्वंत्रता संग्राम सेनानियों के कार्यों को जनमानस समझे इसी के निमित्ति यह वेब श्रंखला उन सामाजिक पुरोधाओं को याद कर रहीं है जिन्होंने राष्ट्र और समाज के लिए अपनी निज इच्छा को त्याग दिया. पीठ की स्थापना बाबू जगजीवन राम के कार्य और उनके सांस्कृतिक योगदान को शोध, शिक्षा और संगोष्ठियों के माध्यम से उल्लेखित करने का कार्य करेगी.
राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो के. रत्नम कार्यक्रम को समेकित करते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में बाबू जगजीवन राम की प्रासंगिकता अधिक है. बाबू जगजीवन राम तथा डॉ अम्बेडकर के योगदान को स्मरण कर भविष्य निर्माण की जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए. बाबू जगजीवन राम एक ऐसे समाज को चाहते थे जिसमें सामाजिक और आर्थिक भेदभाव की गुंजाइश न हो.
वेब संगोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए बीज वक्ता के रूप में मगध विश्वविद्यालय के प्रो नृपेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को बाबू जगजीवन राम के बारे में जानने और उससे भी ज्यादा उनके सामाजिक तथा राष्ट्रीय योगदानों को समझने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि बाबू जी एकनिष्ठ एवं धर्मनिष्ठ व्यक्ति थे. सामाजिक बुराइयाँ किसी भी राष्ट्र की उन्नति में बाधा पहुंचाती है. बाबू जी हमेशा सामाजिक बुराइयों का विरोध करते रहे हैं.
विशिष्ट वक्ता के रूप में दिल्ली पुस्तकालय बोर्ड, संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली के सदस्य, प्रो शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि बाबू जी हमेशा जड़ता और बुराई के खिलाफ बोलते रहे हैं. बाबू जी का राजनैतिक चिंतन समरस समाज पर केंद्रित रहा है. वे सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत थे जिनमें राष्ट्रहित की भावना सर्वोपरि थी। उन्होंने सनातन धर्म में रहकर दलितों के उत्थान वकालत की। बाबू जगजीवन राम अपने समय की विषमता और जनता के विरोध में खड़े होते हैं वे सिर्फ पीड़ा के दृष्टा नहीं होते बल्कि पीड़ा से मुक्त करने का उपाय ढूंढते हैं और इसके लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों को भी खड़ा करते हैं ताकि दलितों, शोषित और उपेक्षित को सामाजिक राष्ट्रीय मुख्यधारा में मजबूती प्रदान किया जा सके।
विशेष वक्ता के रूप में गाजियाबाद से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक डॉ वेद प्रकाश भारद्वाज ने कहा बाबू जगजीवन राम एक सफल संचारक थे उनके एक आह्वाहन मात्र से जनमानस एकत्र हो जाता था. उन्होंने बंगाल में विद्यार्थियों और श्रमिकों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रहित की बात कही.
बाबू जगजीवन राम पीठ के अध्यक्ष प्रो देवाशीष देवनाथ ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम संचालन शोध अधिकारी, ब्राउस डॉ रामशंकर तथा धन्यवाद ज्ञापन हेरीटेज सोसाईटी, पटना के महानिदेशक डॉ अनंताशुतोष द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर प्रोग्राम समन्वयक डॉ अजय दुबे सहित देश-विदेश के दर्शक वेब मंच से जुड़े रहे.