महाराजगंज महोत्सव में महाराजगंज के इतिहास पर गोष्ठी बौद्ध स्थल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों सहित इतिहास पर हुई चर्चा
महाराजगंज/ महाराजगंज जनपद स्थापना दिवस तीन दिवसीय महाराजगंज महोत्सव से दूसरे दिन मुख्य मंच पर महाराजगंज के इतिहास पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जनपद के ऐतिहासिक बौद्ध कालीन स्थल,पत्रकारिता और शिक्षा को लेकर विचार व्यक्त किए गए l
महाराजगंज के इतिहास पर विचार व्यक्त करते हुए प्राचीन इतिहास के विद्वान पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य सिटीजन फॉर्म के अध्यक्ष डॉक्टर आरके मिश्रा ने कहा कि महाराजगंज इस मंच पर अपनी ऐतिहासिकता और महाराज अनजान को लेकर जाना जाता हैl महाराजगंज के ऐतिहासिक सामाजिक और संरचनात्मक महत्व की चर्चा करते हुए डॉक्टर आरके मिश्र ने महाराजगंज के ऐतिहासिक सामाजिक और राजनीतिक संरचना को लेकर विशेष महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित किया l
महाराजगंज के बौद्ध स्थल विषय पर चर्चा करते हुए डॉ परशुराम गुप्त ने कहा कि महाराजगंज में प्राचीनता की ऐतिहासिकता से जुड़ने के अनेक महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल इन्हीं बौद्ध स्थलों के सहारे महाराजगंज को विश्व के मानचित्र पर लाया जा सकता है बहुत सारे उत्पादन कार्य और बौद्ध स्तूपों का मिलन महाराजगंज की प्रमाणिकता को सिद्ध करता है l
महाराजगंज में पत्रकारिता के इतिहास को रखते हुए महाराजगंज के पूर्व पत्रकारों में संत शरण सिंह ईश्वर सिंह श्रीवास्तव वैशम्पायन पांडे सहित पत्रकारिता की पृष्ठभूमि को आम जनमानस के बीच में आम किया । उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को निष्पक्ष और निरपेक्ष बनाए रखने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने पड़ेंगे।
महाराजगंज जनपद के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की चर्चा करते हुए प्रोफेसर शिब्बन लाल सक्सेना छबो देवी शाहिद बिशुनपुर गढ़िया ओके स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों सहित अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के माध्यम से गांधी के योगदानों की चर्चा की।
महाराजगंज के इतिहास पर आयोजित स्पष्टीकरण का संचालन सिटीजन फोरम के मीडिया प्रभारी डॉक्टर शांति शरण मिश्र ने किया और महाराजगंज के शिक्षा के परिदृश्य और उपलब्धियां की चर्चा करते हुए कहा कि अब महाराजगंज के लाल इसरो से लेकर आईएएस पीसीएस और प्रोफेसर सहित इंजीनियर और डॉक्टर बनकर न सिर्फ भारत बल की पूरी दुनिया में महाराजगंज के नाम के नाम का परचम लहरा रहे हैं।
महाराजगंज के इतिहास पर आयोजित इस गोष्ठी का प्रदर्शन पीपीटी के माध्यम से किया गया जिसमें इंजीनियर रूपेश कुमार अभिषेक सिंह राजन और रोहित ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।